शिमला: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत का एक बड़ा कारण पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करने के वादे को भी जाता है। इस स्कीम को लागू करने का बोझ नई सरकार पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसका प्रभाव अगले दस वर्षों में दिखेगा। हालांकि अभी राज्य के खजाने की जो स्थिति है, उसे देखते हुए मौजूदा पेंशन के बोझ को पूरा करने के लिए भी नए वित्त मंत्री को काफी मशक्कत करनी होगी। आरबीआइ के ताजे आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2021-22 के बजटीय अनुमान में हिमाचल प्रदेश का अपना राजस्व संग्रह 9,282 करोड़ रुपये था, जबकि उसका पेंशन खर्च 7082 करोड़ रुपये था। पुरानी पेंशन स्कीम के तहत सरकार उसके लिए फंड की व्यवस्था करती है जबकि नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी को अपनी हिस्सेदारी देनी होती है! दरअसल कांग्रेस ने जिस तरह से हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम को अपना प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाते हुए सफलता हासिल की है , उससे इस बात के संकेत है की 2023 में जिन 9 राज्यो में विधान सभा चुनाव होने है वह भी यह मुख्य चुनावी मुद्दा हो सकता है । आरबीआई के ताज़ा आँकड़ो के मुताबिक़ पिछले 5 साल में राज्यों पर पेन्शन का बोझ 48% बड़ गया है । राजस्थान और छत्तीसगढ जहां पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो चुकी है और वहा की सरकारे अपने राजस्व का 28% और 26% अभी पेंशन पर खर्च कर रही है !
राज्य | पेंशन खर्च | पेंशन खर्च | पेंशन खर्च% | राज्यों का राजस्व |
वितीय वर्ष | 2019-2020 | 2021-22 | 2021-22 | 2021-22 |
हिमाचल | 5490 | 7082 | 76% | 9282 |
राजस्थान | 20761 | 25473 | 28% | 90050 |
मध्य प्रदेश | 12053 | 16913 | 26% | 64914 |
छतीसगढ़ | 6638 | 6609 | 26% | 25750 |
कर्नाटक | 18404 | 23413 | 21% | 111494 |
तेलंगाना | 11833 | 10831 | 12% | 92910 |
ऊपी | 49603 | 68697 | 37% | 186345 |
बिहार | 17110 | 21817 | 62% | 35050 |
नागालेंड | 1811 | 2334 | 183% | 1272 |
मेघालय | 1132 | 1304 | 51% | 2579 |
15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने कहा कि नई पेंशन योजना को छोड़ना राज्यों के लिए अविवेकपूर्ण होगा और राज्यों का यह कदम उन्हें दबाव में डाल देगा। उद्योग संगठन सीआइआइ के कार्यक्रम से इतर एनके सिंह ने कहा कि नई पेंशन योजना को काफी विचार-विमर्श के बाद लागू किया गया था। कांग्रेस और आप जैसे राजनीतिक दल वोटरों को पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करने के वादे कर रहे हैं। कुछ राज्यों जैसे राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना को लागू किया है, पंजाब में आप ने ऐसा ही वादा किया है।