काबिलियत को मौके की ज़रूरत होती है, फिर वह पीछे मुड़कर नहीं देखती” — यह कहावत एचआरटीसी के परिचालक एवं पांवटा साहिब बस अड्डे के प्रभारी प्रेम ठाकुर पर अक्षरशः चरितार्थ होती है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में जब उन्हें बस अड्डा प्रभारी की ज़िम्मेदारी सौंपी गई, तब यह जिम्मा सिर्फ एक पदभार नहीं, बल्कि एक चुनौती थी। एक ऐसे परिसर की देखरेख, जिसका कानूनी अस्तित्व ही संदेह में था — यह किसी के लिए भी टालने लायक बात हो सकती थी। लेकिन प्रेम ठाकुर ने इसे अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए इस विषय को गहराई से खंगालने का निश्चय किया।
ज़मीन की पड़ताल से लेकर रजिस्ट्री तक – एक लंबा संघर्ष
उनकी पड़ताल में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि पांवटा साहिब बस अड्डा जिस भूमि पर वर्षों से संचालित हो रहा था, वह एचआरटीसी की स्वामित्व में थी ही नहीं। निगम के पास न तो वैध दस्तावेज़ थे और न ही रजिस्ट्री। यह स्थिति भविष्य में निगम के लिए भारी नुकसान का कारण बन सकती थी। परिचालक के सीमित अधिकारों के बावजूद, प्रेम ठाकुर ने निजी स्तर पर आगे बढ़कर इस मामले की तह तक जाने का निर्णय लिया।
उन्होंने अपने खर्चे पर:
• पटवारी, कानूनगो, और तहसील कार्यालयों के चक्कर लगाए,
• पुराने दस्तावेज़ों की खोजबीन की,
• ज़मीन की निशानदेही (Demarcation) करवाई,
• और अंततः विधिवत रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी करवाई।
एक कर्मचारी का दूरदर्शी योगदान
यह न केवल कानूनी प्रक्रिया थी, बल्कि एचआरटीसी की स्थायी संपत्ति को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था। निगम को मिली यह संपत्ति अब न केवल उनके संचालन के लिए सुरक्षित है, बल्कि भविष्य में किसी भी प्रकार के निजी दावों या विवादों से भी मुक्त है।
प्रशासनिक कार्यशैली भी मिसाल
सिर्फ कागज़ी कार्रवाई ही नहीं, प्रेम ठाकुर की कार्यशैली में अनुशासन, समय पालन और कर्मचारियों के साथ समन्वय भी उल्लेखनीय रहा है।
उन्होंने अड्डा संचालन में: • समयबद्ध गाड़ियों की आवाजाही सुनिश्चित की,
• स्वच्छता और यात्री सुविधाओं में सुधार लाया,
• और यात्रियों की शिकायतों का त्वरित समाधान सुनिश्चित किया।
एक मिसाल, जो प्रेरित करती है
प्रेम ठाकुर जैसे कर्मचारी यह सिद्ध करते हैं कि सरकारी तंत्र में भी ईमानदारी, मेहनत और दूरदर्शिता से बदलाव संभव है। वे न केवल एचआरटीसी के लिए एक पूंजी हैं, बल्कि हर उस युवा के लिए प्रेरणा हैं जो सिर्फ नौकरी नहीं, योगदान देना चाहता है।