पांवटा साहिब के तहसीलदार (Tehsildar) ऋषभ शर्मा ने एक खास काम करके अपने नाम एक अनोखा रिकॉड दर्ज किया है। इस रिकॉर्ड पर उच्च न्यायालय ने भी उनकी पीठ थप-थपथाई है। दरअसल, पिपलीवाला पंचायत में परिवार के बीच जमीन की तकसीम (distribution of land) का विवाद लगभग पिछले 40 साल से चल रहा था। विवाद इतना बड़ा और पेचीदा था की मामला हाई कोर्ट तक पहुँच गया था !
इसी बीच तहसीलदार ऋषभ शर्मा को माननीय उच्च न्यायालय से इस विवाद को निपटाने के आदेश दिए गए। हालांकि, आदेश में समय सीमा तय नहीं की गई थी, लेकिन युवा अधिकारी ने 40 साल से चले आ रहें विवाद को महज़ 30 दिन के भीतर ही निपटा लिया। और इस बारे माननीय उच्च न्यायालय को अवगत करवा दिया गया।
6 अगस्त को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा युवा तहसीलदार को प्रशंसा पत्र (Appreciation Letter) दिया गया, साथ ही उपायुक्त को ये भी आदेश दिए गए कि तहसीलदार ऋषभ शर्मा के इस कार्य का जिक्र उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (Annual Confidential Report) में इंगित किया जाए। बता दें कि हरेक अधिकारी व कर्मचारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) समूचे कैरियर में बेहद मायने रखती है। तहसीलदार स्तर के अधिकारी की एसीआर (ACR) एसडीएम या डीसी द्वारा लिखी जाती है। लेकिन इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने उपायुक्त को एसीआर में इस कार्य का जिक्र करने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि 40 साल की मियाद काफी लंबी होती है। लाजमी तौर पर आपके जहन में एक सवाल ये भी उठ रहा होगा कि युवा राजस्व अधिकारी ने ऐसा क्या कर दिया, जो 40 साल का विवाद 30 दिन में ही सुलझ गया।
दरअसल, मिली जानकारी के मुताबिक युवा अधिकारी ने जमीन के तमाम हिस्सेदारों की बारीकी से काउंसलिंग (Counselling) की। साथ ही साथ उनके साथ सहजगम्य वातावरण में कई दोर की वार्तालाप हुई ! इस दौरान अधिकारी को कड़ी चुनौती का भी सामना करना पड़ा, क्योंकि ज़मीनी विवादों में तो अक़्सर लोग पारिवारिक रिश्तों का भी ख़्याल नहीं रखते और एक दूसरे के ख़ून के प्यासे हो जाते है और यहाँ तो एक हिस्सेदार द्वारा यमुना (Yamuna River) में कूदने तक की बात भी कही जा रही थी। कुल मिलाकर तमाम हिस्सेदारों की रजामंदी से तहसीलदार ने तकसीम के आदेश जारी कर दिए। जो की वाक़ई में काबिले तारीफ़ हैं!