गिरिपार के गांव शमाह में भारी ने मचाया कहर, सुरक्षा दिवारी गिरी, घरों ,आंगन ,खेतों में आई बड़ी बड़ी दरारें,भूस्खलन से सड़क, उपजाऊ खेती, घासन बरसाती खड्ड में बह,लोग डर के साए से जीवन व्यतीत करने को मजबूर , ग्रामीणों ने प्रशासन व प्रदेश सरकार से लगाई गुहार
पिछले चार दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण गांव शमाह में भारी नुकसान हुआ है । भारी बारिश ने शमाह गांव में कहर बनकर बरपाया है । गांव में किसी का भूस्खलन से सुरक्षा दीवार मलबे के साथ जा गिरी है तो किसी के मकान में तो किसी के आंगन या खेतों में बड़ी बड़ी दरारें आई है । भूस्खलन से सड़क, उपजाऊ खेती, घासन सहित बरसाती खड्ड में बह गए है । भारी भूस्खलन होने से गांव डेंजर जॉन में आ गया है और अब पूरा गांव में भूस्खलन का डर मंडराने लगा है ।
लोग डर के साए से जीवन व्यतीत कर रहे है । गौरतलब है कि गांव शमाह पहले ही डेंजर जोन में है । ठीक दस साल पहले गांव में लैंडस्लाइड की वजह से काफी नुकसान हुआ था ओर कुछ महीनों के लिए ग्रामीणों को तिलौरधार कालोनी में शिफ्ट हो गए थे, उस समय ग्रामीणों को प्रशासन का पूरा साथ मिला था । उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एवं विधायक हर्षवर्धन चौहान के प्रयासों से तिलौरधार में खाने पीने की व्यवस्था के साथ आर्थिक फौरी राहत भी दी गई थी । वही पांवटा साहिब में गांव को विस्थापित के लिए छत्तीस परिवारों को तीन-तीन विस्वा जमीन भी उपलब्ध करवाई गई थी । हालांकि जमीन की रजिस्ट्री एवं अन्य फोरमैलिटी तो पूरी हो गई थी लेकिन मौके पर ग्रामीणों का कब्जा नहीं हुआ था जिसके कारण लोगों को मजबूरन वापस गांव शमाह में आकर बसना पड़ा । लोग पिछले दस सालों से यहां खतरे के साए में रहने को मजबूर हो गए है ।
लेकिन आज दस साल बीत जाने के बाद स्थिति जियों की त्यों बनी हुई है ओर अब पहले से अधिक खतरा और ज्यादा बढ़ गया है । ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार और प्रशासन से अपील की है कि जिन लोगों का इस बरसात में नुकसान हुआ है उन्हें तुरंत मुआवजा दिया जाए । साथ ही पांवटा साहिब में गांव को विस्थापित के लिए जो जमीन मिली थी उस जमीन को ग्रामीणों को मौके पर कब्जा करके दिया जाए ताकि आपातकालीन स्थिति में ग्रामीण वहां अपने लिए सुरक्षित घर की व्यवस्था कर सके । वहीं ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि भारी बारिश के दौरान गांव में कोई भी बड़ा हादसा होता है तो उसका ज़िमेदार स्थानीय प्रशासन और सरकार होगी ।