सनातन धर्म में भगवान परशुराम को शस्त्र और शास्त्र दोनों का ही ज्ञाता माना जाता है। मनुष्य हों या देवता सभी उनकी पूजा करते हैं। यही नहीं भगवान परशुराम सप्त चिरंजीवियों में से भी एक हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार परशुरामजी आज भी जीवित है और तपस्या कर रहें हैं। हमारे देश में परशुरामजी के कई मंदिर हैं। लेकिन हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वहां साल में एक बार भगवान परशुराम और उनकी माता का रेणुका का अनूठा मिलन होता है। भगवान परशुराम ने जब अपनी योगशक्ति से पिता जमदग्नि तथा मां रेणुका को पुन: जीवित कर दिया। तब माता रेणुका ने वचन दिया कि वह प्रति वर्ष कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी को अपने पुत्र भगवान परशुराम से मिलने आया करेंगी। तबसे श्रीरेणुका जी मेले का आयोजन होता आ रहा है। पांच दिन तक चलने वाले इस मेले के दौरान माता रेणुका झील से निकलकर भगवान परशुराम से मिलती हैं और माता से भेंट करने इस दौरान परशुरामजी भी जामूकोटी से रेणुका जी चले आते हैं। लेकिन सतयुगी तीर्थ कहलाने वाले हिमाचल के सबसे प्रसीद तीर्थ व पर्यटक स्थल रेणुका जी के परिक्रमा मार्ग मे सहस्त्रधारा अथवा दूधिया पाणी नामक स्थान पर स्थित माता की प्रतिमा में आज आग लगने से मूर्ति खंडित हो गई। यहां से गुजर रहे स्थानीय श्रद्धालुओ ने बताया कि, झील की परिक्रमा के दौरान वह यहां प्रसाद रूपी जल गृहण करने के लिए रुके तो, माता की मूर्ति के पास से धुआं निकल रहा था और श्रंगार व चुनरी जल चुकी थी। गीले कपड़े से उन्होंने आग को ज्यादा फैलने से रोका। घटना के घंटों बाद भी लाखों लोगों की आस्था से जुड़े इस स्थान की सुध लेने रेणुकाजी विकास बोर्ड अथवा Sirmaur District Administration का कोई कर्मचारी न पंहुचने पर लोगों ने नाराजगी भी जताई। गौरतलब है कि, प्रशासन केवल अंतर्राष्ट्रीय मेले के दौरान इस जगह को सजाने संवारने का काम करता है, जिसका कारण हजारों ₹ चढ़ावा उस दौरान मिलना समझा जाता है।
प्रतिमा खंडित होना अशुभ संकेत मान रहे हैं अधिकतर
नवरात्रि उत्सव के महाष्टमी के पावन अवसर पर अधिकतर लोग अथवा श्रद्धालु प्रतिमा खंडित होना अशुभ संकेत मान रहे हैं। गत माह तक DC सिरमौर की अध्यक्षता वाले रेणुकाजी विकास बोर्ड के CEO रहे दीपराम शर्मा ने कहा कि, प्रदेश की नई सरकार रेणुकाजी विकास बोर्ड भंग कर चुकी हैं और मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कार्यभार तहसीलदार ददाहू देख रहे हैं। तहसीलदार राजेंद्र ठाकुर के मोबाइल पर बात नहीं हो पाई। बहरहाल मां रेणुकाजी व भगवान परशुराम में श्रद्धा रखने वाले लाखों लोगों की आस्था से जुड़े इस मामले में रेणुकाजी विकास बोर्ड अथवा जिला प्रशासन की अधिकारिक प्रतिक्रिया आना शेष है। बोर्ड से जुड़े लोग यह जरूर कह रहे हैं कि, बिना प्राण प्रतिष्ठा के यह मूर्ति लगाई गई थी! लेकिन स्पष्ट रूप से आग लगने के करणों का पता नहीं चल पाया है !