आप सभी यह तो जानते ही होंगे कि सेंट्रल गवर्नमेंट ने कल एक बड़ा बदलाव किया है. केंद्रीय सरकार ने कल एक साथ 12 राज्यों के राज्यपालों को और एक केंद्रीय शासित प्रदेश के राज्यपाल को बदल दिया है. ऐसे में आपके अंदर भी कई तरह की उत्सुकताएं जाग रही होंगी. आप भी हमारी तरह यही सोच रहे होंगे कि आखिर राज्यपाल की क्या जरुरत होती है? इनके पास कितने तरह के पावर होते हैं और इनकी सैलरी क्या होती है? अगर आपके अंदर भी ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं तो आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से देने वाले हैं.
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राज्यपाल की नियुक्ति
संविधान के अनुच्छेद 153 में राज्यपाल का उल्लेख किया गया है. जिसमें कहा गया है कि, प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा. लेकिन सातवें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में यह जोड़ा गया कि एक व्यक्ति एक ही समय दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल भी रह सकता है, जिस तरह से हम वर्तमान में देखते हैं कि कुछ राज्यपाल दो राज्यों के राज्यपाल भी होते हैं। राज्यपाल की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है। भारत का राष्ट्रपति राज्यपाल की नियुक्ति 5 वर्षों की अवधि के लिए की जाती है.
राज्यपाल की योग्यता
कोई व्यक्ति अगर राज्यपाल बनना चाहता है, तो उसके अंदर निम्न योग्यताएं होना आवश्यक है.
- वह व्यक्ति भारत देश का नागरिक होना चाहिए.
- राज्यपाल बनने के लिए न्यूनतम उम्र 35 वर्ष होनी चाहिए.
- राज्यपाल पद पर चुने जाने के समय किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए.
- राज्यपाल पद पर चयनित होने के लिए उसे राज्य विधान सभा के सदस्य की सभी योग्यताओं को पूरा करना चाहिए.
राज्यपाल की शक्तियां
राज्यपाल की शक्तियों की अगर बात करें तो इनके पास कई अहम शक्तियां जैसे कि- मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना और उन्ही के सलाह पर मंत्रिपरिषद का गठन करना राज्यपाल के हाथ में होता है. केवल यहीं नहीं राज्यपाल ही राज्य के हर युनिवर्सिटी की चांसलर होते हैं. बता दें किसी भी राज्य के एडवोकेट जनरल, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और मेंबर्स की नियुक्ति भी राज्यपाल द्वारा ही की जाती है. विधानसभा में जब भी फाइनेंस बिल को पास किया जाता है सबसे पहले राज्यपाल की अनुमति ली जाती है. कोई भी बिल राज्यपाल के अनुमति के बिना कानून नहीं बन सकता है. राज्यपाल के पास पूरी एक बिल को रोकने/ लौटाने या फिर राष्ट्रपति के पास भेजने शक्ति होती है. कोई भी बिल एक बार अगर राज्यपाल के तरफ से वापस कर दिया जाता है लेकिन विधानसभा से उसे पारित कर दिया जाता है तो राज्यपाल को भी उस बिल को मंजूरी देनी पड़ती है. एक राज्यपाल विधासभा की तरफ से पारित बिल को रोक नहीं सकता है.
कितनी होती है सैलरी
चाहे राज्यपाल किसी भी राज्य के हों , उन्हें प्रतिमाह के 3 लाख 50 हजार रुपये की सैलरी दी जाती है. राज्यपाल को प्रधानमंत्री से ज्यादा सैलरी मिलती है प्रधानमंत्री के सैलरी से अगर इसकी तुलना करें तो प्रधानमंत्री को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत प्रतिमाह के हिसाब से 1 लाख 60 हज़ार रुपये, राष्ट्रपति को 5 लाख रुपये और उपराष्ट्रपति को प्रतिमाह के 4 लाख रुपये सैलरी मिलती है. राज्यपाल को सैलरी के अलावा भी कई तरह के फायदे मिलते हैं. इन फायदों की अगर बात करें तो इनमें कई तरह के भत्ते जैसे कि लीव अलाउंस भी दिया जाता है. इसका मतलब है कि अगर राज्यपाल छुट्टी पर भी रहते हैं तो भी उन्हें इसके लिए भत्ता दिया जाता है. एक राज्यपाल को सरकारी आवास की देखभाल के लिए भी भत्ता दिया जाता है. इसके साथ ही राज्यपाल सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के अस्पतलों में मुफ्त इलाज भी करवा सकता है. बता दें अगर एक राज्यपाल कहीं सफर करना चाहता है और उसके लिए उसे गाड़ी की जरुरत पड़ती है तो वह मुफ्त में गाड़ी भी किराए पर ले सकता है. केवल इतना ही नहीं राज्यपाल को उसके परिवार को घुमाने ले जाने के लिए समय-समय पर ट्रैवल अलाउंस भी दिया जाता है.