शिमला: पेपर लीक मामलों में सुक्खू सरकार और सख्त हो गई है। सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कर्मचारी चयन आयोग के कामकाज को निलंबित कर दिया है। वहां के सचिव और उपसचिव को पद से हटा दिया गया है सरकार ने उन्हें वापस बुला लिया है। आयोग की चालू और लंबित पड़ी भर्तियां ठंडे बस्ते में डाल दी गई हैं। सी.एम. सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर मुख्य सचिव आर.डी. धीमान ने आज आदेश जारी किए हैं। पहले आदेश के अनुसार कर्मचारी चयन आयोग को विभिन्न भर्तियों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन जे.ओ.ए. आई.टी. की परीक्षा का पेपर लीक हो गया। यह परीक्षा 25 दिसम्बर को होनी थी।
मुख्य सचिव ने आदेशों में कहा कि इसके अलावा कम्प्यूटर ऑपरेटर और जूनियर ऑडिटर्स के पेपर के भी लीक होने की सूचनाएं हैं। यह पाया गया है कि आयोग में पिछले कुछ समय से भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। इस तरह के गैर कानूनी कार्य में आयोग के कर्मचारी भी संलिप्त रहे हैं। इससे न केवल आयोग की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है बल्कि जनता के व्यापक हितों पर भी बुरा असर हुआ है। प्रथम दृष्टि से ऐसा प्रतीत होता है कि बोर्ड अपने कर्त्तव्य और जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में नाकाम रहा है और इससे नौकरी पाने के इच्छुक युवाओं के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ हुआ है। इस कारण सरकार ने फैसला लिया है कि आयोग के कामकाज पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। जितनी भी भर्तिया चल रही हैं अथवा लंबित हैं, उन सभी को भी फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
दो अफसरों पर गिरी गाज
आयोग के दो अफसरों एच.ए.एस. अधिकारी एवं आयोग के सचिव डा. जितेंद्र कंवर, उप सचिव डा. संजीव कुमार को सरकार ने वापस बुलाया है। कंवर 2010 बैच के, जबकि संजीव इसी वर्ष के बैच के हैं। इन दोनों को कार्मिक विभाग के पास रिपोर्ट करने को कहाँ गया है।
सरकार ने तैनात किया ओ.एस.डी.
सरकार ने ए.डी.सी. एवं डी.आर.डी.ए. के प्रोजैक्ट डायरैक्टर को आयोग का नया ओ. एस. डी. नियुक्त किया है। वहां के सभी अधिकारी और कर्मचारी उन्हें रिपोर्ट करेंगे ।