Tuesday, November 5, 2024

प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है बद्दी में एक्यूआई का स्तर 163 तो पांवटा साहिब में 124..

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पांवटा साहिब: 2022 के अंतिम माह दिसंबर के पूरी तरह से सूखा ही चले जाने और नवंबर माह में भी उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में ही बारिशें होने के कारण धूल-मिट्टी के कण वातावरण में फैलने से प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, जबकि शिमला का एक्यूआई प्रदेश में सर्वोत्तम पर  चला गया है। बारिशों न होने से धूल-मिट्टी के कण वातावरण में पूरी तरह घुल गए हैं। शिमला का एक्यूआई 43, तो बद्दी में एक्यूआई का स्तर 163 चल रहा है। इसके अलावा पांवटा साहिब में भी 124 और कालाअंब में 108, बरोटीवाला के एक्यूआई का स्तर 102 चला हुआ है, जो कि मॉडरेट बना हुआ है, जबकि शिमला का एक्यूआई का स्तर सर्वोत्तम 43 बना हुआ है। इसके अलावा धर्मशाला व परवाणू का 47, ऊना का 48 एक्यूआई है, जो सर्वोत्तम श्रेणी में आता है, जबकि मनाली में 53, सुंदरनगर में 54, डमटाल में 59 और नालागढ़ में एक्यूआई का स्तर 74 चला हुआ है, जो कि संतोषजनक है !

प्रदेश के वातावरण में धूल-मिट्टी के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) बिगड़ रहा है। प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में पिछले लगभग दो महीने से बारिश नहीं हुई। इससे चौतरफा धूल के गुबार उड़ रहे हैं। यही वजह है कि राज्य के चार शहरों का एक्यूआई अभी तक 100 माइक्रो ग्राम के स्तर को पार कर गया है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार बद्दी का एक्यूआई लंबे समय से खराब चल रहा है और यहां 163 माइक्रो ग्राम एक्यूआई दर्ज किया गया। बारिशों के न होने के कारण धूल के कण हवा व वायुमंडल में घुलने से एक्यूआई का स्तर बिगड़ रहा है। इसके बढऩे से सांस के रोगियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि 100 माइक्रो ग्राम से अधिक का एक्यूआई अच्छा नहीं माना जाता है। कार्बन क्रेडिट स्टेट हिमाचल में हवा की गुणवत्ता बिगडऩा अच्छे संकेत नहीं हैं। निदेशक मौसम केंद्र शिमला -सुरेंद्र पॉल, ने बताया कि बारिशों और बर्फबारी के बाद प्रदेश का मौसम और स्वच्छ हो जाएगा और वातावरण में फैले धूल-मिट्टी के कण बारिश के चलते बैठ जाएंगे। फिलवक्त 28 दिसंबर तक प्रदेश में मौसम साफ रहेगा, जबकि 29 व 30 को एक दो स्थानों पर वर्षा व हिमपात हो सकता है

क्या होता है एक्यूआई और इसके मापक

एक्यूआई हवा में मौजूद जहरीले कणों को मापने का जरिया है। इसके 100 माइक्रो ग्राम से अधिक होने से इनसान के फेफड़ों पर दुष्प्रभाव पडऩे लगता है। वायुमंडल में घुलने वाली जहरीली हवाएं सांस के साथ गले, श्वास नली और फेफड़ों तक पहुंच सकती हैं। एक्यूआई का स्तर 0-50 तक सर्वोत्तम, 51-100 संतोषजनक, 101-200 माडरेट, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 400 से अधिक सीवर यानी खतरनाक आंका जाता है।

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