पांवटा साहिब: चैंबर ऑफ कॉमर्स पांवटा साहिब इकाई प्रधान सतीश गोयल ने कहा कि प्रदेश में बिजली के दाम अन्य प्रदेशों के मुकाबले ज्यादा वसूले जा रहे हैं। फ्रेट सबसिडी (परिवहन) नहीं मिल पा रही है। उद्योग कम होने का एक मुख्य कारण ट्रक यूनियनों द्वारा मनमाना मालभाड़ा वसूलना है। पांवटा साहिब में बाहरी राज्यों से कच्चा माल खरीदकर लाया जाता है तथा तैयार कर माल भी बाहरी प्रदेशों में भेजा जाता है। इसलिए नई प्रदेश सरकार से उम्मीद करते हैं कि प्रदेश में ट्रक यूनियनों पर प्रतिबंध लगाकर उद्योगों को नवजीवन प्रदान करें। जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर विशेष पैकेज मिलना भी जरूरी है, जिससे नई इकाइयों को पांवटा साहिब में आकर्षित किया जा सके। चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष अरुण गोयल व एनपीएस सहोता ने कहा कि पंजाब व हरियाणा राज्यों की तर्ज पर हिमाचल की नई सरकार को भी सख्त फैसले लेने होगे। जिस प्रकार पूर्व पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्रक यूनियनों को प्रतिबंधित कर दिया था उसी प्रकार नई सरकार भी प्रदेश में ट्रक यूनियनों को प्रथम कैबिनेट में प्रतिबंधित कर दें।
इसकी मांग आज हिमाचल प्रदेश चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज पांवटा की तरफ से रखी गई है। ट्रक यूनियनें इस बात के लिए बाध्य न करें कि स्थानीय उद्योगों से उनकी तय मालभाढ़ा दरें व उनके ही ट्रकों से ही अपना माल भेजा जाए। प्रदेश में अंबुजा व एसीसी सीमेंट प्लांट बंद होने का कारण भारी मालभाड़ा ही रहा है। उन्होंने कहा कि उद्योग हिमाचल प्रदेश सरकार की ग्रोथ का बड़ा महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में उद्योगों से ट्रक यूनियनों द्वारा जबरन वसूली करना किसी के हक में नहीं है। उन्होंने कहा कि उद्योगों का अधिकार है कि वह खुली मार्केट से ट्रक हायर करें, ताकि उद्योगों को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि हर वर्ष पांवटा साहिब में उद्योगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उसमें एक बड़ा हिस्सा ट्रांसपोर्टेशन का भी है। बेहद अधिक रेट तय कर उद्योगों पर अतिरिक्त बोझ डाला जाता है जिसके कारण अधिकतर उद्योग बंद होने की कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि पांवटा साहिब में बड़ी इंडस्ट्रीज बंद हो गई उसका बड़ा कारण है कि यह बड़े उद्योग ट्रांसपोर्ट सिस्टम के बोझ को वहन नहीं कर पाई।