पाँवटा साहिब 18 दिसंबर (न्यूज़डे नेटवर्क ): शिलाई विधानसभा क्षेत्र के कमरऊ का सरकारी अस्पताल लंबे समय से बदहाल स्थिति में है, जिससे क्षेत्र के लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि यह अस्पताल पिछले 20–25 वर्षों से लगातार उपेक्षा का शिकार रहा है और इसकी हालत में कोई ठोस सुधार नहीं हो पाया है। अस्पताल की मौजूदा स्थिति देखकर यह किसी उपचार केंद्र से अधिक एक उपेक्षित भवन जैसा प्रतीत होता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार अस्पताल में मरीजों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। साफ-सफाई, बैठने की व्यवस्था, शौचालय और पेयजल जैसी आवश्यक सुविधाएँ बेहद दयनीय स्थिति में हैं। इलाज के नाम पर वर्षों से केवल सेंट्राजिन और पैरासिटामोल देकर औपचारिकता पूरी की जा रही है। गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को बिना समुचित जांच के ही अन्य बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियमित तैनाती नहीं है। आवश्यक जांच सुविधाओं और दवाइयों के अभाव में मरीजों को नाहन, पांवटा साहिब या अन्य दूरस्थ शहरों का रुख करना पड़ता है, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है।यह समस्या केवल कमरऊ तक सीमित नहीं है, बल्कि इस स्वास्थ्य केंद्र से कम से कम 7–8 पंचायतें जुड़ी हुई हैं, जिनकी हजारों की आबादी अपनी स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए इसी अस्पताल पर निर्भर है। इसके बावजूद सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से लंबे समय से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।


गांव के निवासी राकेश, अमित, रमन और अनुज, संदीप ने बताया कि सरकार को कमरऊ गाँव की मायनिंग से करोडो का राजस्व मिलता है बावजूद इसके वर्षों से नेताओं और जनप्रतिनिधियों द्वारा अस्पताल व अन्य सुविधाओ को लेकर केवल आश्वासन दिए जाते रहे हैं। चुनावों के समय इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाता है, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही इसे भुला दिया जाता है। इससे जनता में निराशा और असंतोष लगातार बढ़ रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि किसी भी गांव के विकास की बुनियाद स्वास्थ्य और शिक्षा होती है। यदि इन दोनों क्षेत्रों में सुधार नहीं किया गया, तो विकास के सभी दावे खोखले साबित होंगे। उन्होंने लोगों से राजनीति से ऊपर उठकर गांव के मूल मुद्दों पर एकजुट होने की अपील की है। स्थानीय लोगों की मांग है कि कमरऊ अस्पताल में शीघ्र डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियमित तैनाती की जाए, पर्याप्त दवाइयाँ उपलब्ध कराई जाएँ, प्राथमिक जांच सुविधाएँ शुरू की जाएँ तथा अस्पताल भवन की मरम्मत कर मरीजों के लिए आवश्यक सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएँ।ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे प्रशासन के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन करने को मजबूर होंगे। फिलहाल कमरऊ अस्पताल की स्थिति ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
बीएमओ राजपुर का बयान
बीएमओ राजपुर केएल भगत ने बताया है की दवाइयों की सप्लाई नियमित रूप से जा रही है दवाइयों की कोई क़िल्लत नहीं होनी चाहिए और वहाँ पर तैनात फार्माशिस्ट भी उसी गांव का है फिर भी यदि ग्रामीणों को इस तरह की समस्या आ रही है तो में ख़ुद जाकर जाँच करूँगा जर्ज़र पड़े भवन के विषय मे उन्होंने बताया कि नए भवन के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और सरकार से पैसा भी मिल गया है जल्द ही ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा !


