कपिल शर्मा/ पाँवटा साहिब । हिमाचल और उत्तराखंड के आराध्य देव न्याय के देवता चार भाई महासू का पवित्र जागडा पर्व (पंचमी) इस बार 27 अगस्त को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। महासू महाराज सिरमौर वह शिमला ज़िले में सर्वाधिक पूजें जाने वाले देवता में से एक है। सिरमौर ज़िला के गिरीपार क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में पर्व को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
प्रतिवर्ष भादों महीने में यह पर्व महासू देवता के मंदिरों में आयोजित होता है। मान्यता है कि महासू देवता न्याय के देवता हैं और भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं। लोक आस्था के अनुसार, जब भी किसी भक्त को न्याय नहीं मिलता, तो वह महासू देवता की शरण में आता है। कहा जाता है कि देवता अपने भक्तों के दुख हरते हैं और दोषियों को उचित दंड देते हैं।
इस वर्ष 27 अगस्त की रात को पशमी, कोटी, द्राविल, शिल्ला, डाबरा, टटियाना, शमाँह, नगेता सहित गिरीपार क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में सीद्धपीठ हनोल व छत्रधारी चालदा महासू मंदिर दसऊ की परंपरा के अनुसार रात्रि जागरण (जागरा) होगा। इस दौरान भजन-कीर्तन, महासू बिरसु, देव आराधना और लोकगीत गाए जाएंगे।
27 अगस्त को शुभ मुहूर्त में ‘देवनायणी’ (देवता का स्नान) अनुष्ठान सम्पन्न किया जाएगा। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। इन दिनों मंदिर समितियां और प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा व व्यवस्थाओं को लेकर पूरी तैयारी में जुटा हुआ है। जागरा पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस पर्व के दौरान गाँव में मेलों जैसी रौनक देखने को मिलती है। दूर-दराज़ से लोग आकर एक-दूसरे से मिलते हैं, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की ध्वनि गूंजती है और आस्था का यह महापर्व पूरे गिरीपार क्षेत्र को भक्तिमय बना देता है।